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Posted in Delhi University Editor's Choice education HINDI opinion

समायोजन का लक्ष्य – राजनीतिक लड़ाई से नहीं, कानूनी रास्ते से ही हासिल करना संभव

राजनैतिक जोड़ तोड़ और सत्याग्रही आंदोलनों के रास्ते से हमें 5-6 दिसंबर को एच आर डी (HRD) का जो पत्र मिल पाया वो भी हम विश्वविद्यालय में पूरी तरह से लागू करा पाने में अभी तक असमर्थ रहे हैं। अगर हम एडहॉक… read more समायोजन का लक्ष्य – राजनीतिक लड़ाई से नहीं, कानूनी रास्ते से ही हासिल करना संभव

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Posted in Delhi University Editor's Choice opinion

Appointment of Teachers in Delhi University: Will that take more than ten years?

Delhi University is facing a crisis on the issue of appointments of teachers as till a year ago the issue was not even seen to be on the priority that it deserved, for almost a decade. It was neither given… read more Appointment of Teachers in Delhi University: Will that take more than ten years?

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Posted in Delhi University HINDI Politics

डूटा में शिक्षकों को RTI और अन्य क़ानूनी मदद देने के लिए एक सेल बनाने की आवश्यकता

सामान्य तौर पर कई नीतिगत मुद्दों के विरोध में दस हज़ार शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाली डूटा जब सरकार को सौ, दो-सौ शिक्षकों की उपस्थिति दिखा पाती है तो अपने साथ साथ सारे शिक्षकों को एक हास्यास्पद स्थिति में डाल देती है। इससे डूटा के पदाधिकारियों का सिर्फ राजनितिक एजेंडा सिद्ध होता है और कुछ नहीं। इससे अलग हटकर ऑनलाइन पेटिशन, प्रभावशाली ट्विटर ट्रेंडिंग और सोशल मीडिया के उपयोग से हज़ारों की संख्या में पीड़ितों के हस्ताक्षर किसी भी समय में सौ – दो सौ लोगों की मामूली भीड़ से कहीं ज़्यादा प्रभाव डालने में समर्थ हो सकता है। वैसे ही एक निश्चित समय में कॉलेज के कार्यकाल के बाहर पांच हज़ार शिक्षकों के समूह को एकत्रित करना, हफ्ते भर से चल रहे शिक्षक हड़ताल से ज़्यादा प्रभाव डाल सकता है।

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Posted in Delhi University

On the disturbing state of affairs in Delhi University – a view of NDTF

To make this point clear it is sufficient to notice that while promotions and appointments are being done at a very fast pace in all other central universities, DU alone is yet to make a meaningful move in the direction. UGC regulations 2018 that offers solution to a vast collection of promotion cases that had got stuck in the earlier UGC Regulation 2010 are still being misinterpreted for weird reasons.